Protests erupt outside Kasba Police station as 3 arrested in alleged Kolkata college gang rape
'जितने दिन पार्टी में रहूंगा, अनुशासन मानना ही होगा'
कोलकाता। लगातार विवादास्पद बयान देकर पार्टी को असहज स्थिति में डालने वाले तृणमूल विधायक हुमायूं कबीर को पार्टी की ओर से कड़ी चेतावनी दिए जाने के बाद अब उन्होंने नरम रुख अपनाया है। भरतपुर से विधायक ने कहा है कि अब वे पार्टी अनुशासन का पालन करेंगे और बेमतलब की टिप्पणी से बचना चाहेंगे।
रविवार को एक कार्यक्रम में हुमायूं कबीर ने कहा कि कभी-कभी ग़ुस्से या आक्रोश में कुछ बोल गया हूं, लेकिन उसका मकसद पार्टी को नीचा दिखाना या नुकसान पहुंचाना नहीं था। अब पार्टी ने चेतावनी दी है, इसलिए मैं कोशिश करूंगा कि अनुशासन में रहूं और पार्टी की छवि को बनाए रखूं। उन्होंने साफ कहा कि जब तक मैं पार्टी में हूं, मुझे पार्टी का निर्देश मानना ही होगा।
दरअसल बीते कुछ दिनों में हुमायूं कबीर ने कई बयान देकर पार्टी नेतृत्व को मुश्किल में डाला था। इनमें सबसे बड़ा आरोप था कि तृणमूल के कुछ नेता रात के अंधेरे में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के घर तोहफे भेजते हैं। इसके अलावा उन्होंने पिरजादा क़ासिम सिद्दिकी को पार्टी में शामिल करने के फैसले पर भी सवाल उठाए थे और कहा था कि इससे पार्टी को नुकसान होगा।
इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा था कि अगले विधानसभा चुनाव में तृणमूल की सीटें घटेंगी। इस तरह की बातों को पार्टी ने अनुशासनहीनता माना और उन्हें विधानसभा अनुशासन समिति से चेतावनी पत्र जारी किया गया। उन्हें बताया गया कि यह आखिरी बार चेतावनी दी जा रही है। विधायक ने यह भी कहा कि अगर कोई जनता को ग़लत रास्ते पर ले जाए, अगर कोई प्रशासनिक ताकत का दुरुपयोग करे, तो बोलना ज़रूरी होता है। मैंने ऐसे मौकों पर ही आवाज़ उठाई है। लेकिन अब पार्टी की छवि बचाने की जि़म्मेदारी मेरी भी है। ऐसे में अब सवाल उठ रहा कि क्या यह बदलाव स्थायी रहेगा?
हालांकि, तृणमूल के भीतर कुछ लोग मानते हैं कि हुमायूं कबीर अक्सर स्वतंत्र मिज़ाज के नेता रहे हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी के अनुशासन में वह कितने दिन तक टिके रहते हैं। लेकिन इस बार पार्टी की चेतावनी बेहद सख्त थी, जिससे लगता है कि उन्हें पार्टी से निलंबन का डर सता रहा है।